मातृत्व अवकाश एक मौलिक मानव अधिकार है जिसे नकारा नहीं जा सकता: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

मातृत्व अवकाश एक मौलिक मानव अधिकार है जिसे नकारा नहीं जा सकता: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

  • Hindi
  • June 20, 2023
  • No Comment
  • 964

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में एक आदेश में कहा है कि मातृत्व अवकाश (Maternity Leave) एक मौलिक मानव अधिकार है जिसका इंकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 29 और 39D का उल्लंघन है।

जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस वीरेंदर सिंह की पीठ राज्य सरकार की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि मातृत्व अवकाश का उद्देश्य महिला और उसके बच्चे को पूर्ण और स्वस्थ भरणपोषण प्रदान करके मातृत्व की गरिमा की रक्षा करना है।

राज्य सरकार ने यह याचिका हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल (HP Administrative Tribunal) के आदेश के खिलाफ दायर की थी जिसमे दैनिक वेतन के आधार पर कार्यरत महिला / प्रतिवादी को मातृत्व अवकाश का लाभ प्रदान किया गया था।

1996 में महिला ने मातृत्व अवकाश लेने के बाद कार्य शुरू किया था लेकिन उसके बाद प्रसव के कारण महिला 240 दिनों की न्यूनतम वार्षिक आवश्यकता को पूरा करने में असमर्थ रही थी।

ट्रिब्यूनल ने औद्योगिक विवाद अधिनियम (Industrial Dispute Act) के प्रावधानों के तहत महिला के मातृत्व अवकाश की अवधि को निरंतर सेवा के रूप में मान्य होने का फैसला दिया था।

ट्रिब्यूनल के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने कोर्ट में याचिका दायर कर तर्क दिया था कि दैनिक वेतन पर कार्यरत महिलाओं को 1996 में औद्योगिक विवाद अधिनियम के तहत मातृत्व अवकाश लेने का प्रावधान नहीं था।

कोर्ट ने राज्य सरकार के इस तर्क को ख़ारिज करते हुए कहा कि “भारत ऐसी विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संधियों और अनुबंधों का हस्ताक्षरकर्ता है जो यह निर्धारित करते हैं कि मानवाधिकार सर्वोच्च हैं और उन्हें हर क़ीमत पर संरक्षित किया जाना चाहिए।”

कोर्ट ने कहा कि मातृत्व अवकाश प्रतिवादी का एक मौलिक मानव अधिकार है जिसे नकारा नहीं जा सकता और याचिकाकर्ता का रवय्या स्पष्ट रूप से भारत के संविधान के अनुच्छेद 29 और 39D का उल्लंघन करता है।

कोर्ट ने उपरोक्त तथ्यों के आधार पर ट्रिब्यूनल के आदेश के खिलाफ राज्य की ओर से दायर याचिका को ख़ारिज कर दिया।

केस टाइटल : स्टेट ऑफ़ हिमाचल प्रदेश व अन्य बनाम सीता देवी ( CWP No. 647 of 2020)

पूरा आदेश यहाँ पढ़ें-

Related post

पति के दूसरी महिला के साथ रहने की स्थिति में पत्नी को वैवाहिक घर में रहने पर मजबूर नहीं किया जा सकता: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

पति के दूसरी महिला के साथ…

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने पारिवारिक…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *